पुरखौती मुक्तांगन
राज्य की संस्कृति, परंपरा, पुरातत्व, पर्यावरण और जीव-सृष्टि की सन्निधि में विकास की कल्पना को साकार करने हेतु पुरखौती मुक्तांगन का निर्माण हुआ और राज्य के पारंपरिक शिल्पियों के द्वारा इसे सांस्कृतिक धरोहर के रूप में आकार प्रदान करने का संकल्प जीवन्त हुआ। पुरखौती मुक्तांगन रायपुर से लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर है।
लगभग 200 एकड़ परिक्षेत्र में फैला पुरखौती मुक्तांगन शैक्षणिक केन्द्र जिसमें छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति, कलाशिल्प, प्राकृतिक संरचना और भौगोलिक परिदृश्य, पर्यावरण और जैव विविधता को प्रदर्शित की गई है।
पुरखौती मुक्तांगन में भव्य प्रवेश द्वार, पर्यटन सूचना केन्द्र, पाथ-वे, माड़ियापथ, बैगा चौक, देवगुड़ी, छत्तीसगढ़ हाट, आभूषण पार्क, छत्तीस खम्भा चौक, जलपृष्ठीय रंगमंच, जनजातीय पारंपरिक शेड, मनोरंजक उद्यानगृह, सड़क एवं जल-निकास, लौह शिल्पियों की कार्यशाला एवं भित्तिचित्र निर्माण, सरगुजा की भित्तिचित्र का पारंपरिक जाली निर्माण, स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों का निर्माण, चारदीवारी निर्माण, छत्तीसगढ़ का मानचित्र का निर्माण जिसमें छत्तीसगढ़ के विभूतियों को दिखाया गया है। भू-दृश्य सौंदर्यीकरण एवं विद्युत साज-सज्जा आदि हैं।
छत्तीसगढ़ आने वाले पर्यटकों और यहां के गांवों से अनजान लोगों के लिए यह प्रतिकृति ज्ञानवर्धन दिखाया गया है।। ज्ञानवर्धक होने के साथ-साथ यह मनोरंजक है। घोटुल से लेकर मारिया घर, मुरिया घर, देवगुड़ी, थानागुड़ी जैसे बस्तर के कई आकर्षण यहां है।
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